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उच्च न्यायालय की जाट आरक्षण पर मोहर, आयोग को प्रतिशत दर तय करने का आदेश, स्टे बरकरार

By जय हिन्द न्यूज/चंडीगढ़

Published on 01 Sep, 2017 04:39 PM.

चंडीगढ़। सिरसा डेरा प्रमुख ढोंगी बाबा को कोर्ट से सजा मिलने के बाद विश्व स्तर पर चर्चा में रहे हरियाणा राज्य के लिए न्यायालय से एक और बड़ी खबर आई है। जानकारी मिली है कि पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट ने जाट आरक्षण को सही ठहराते हुए इससे संबंधित एक्ट पर अपनी मोहर लगा दी है। उच्च न्यायालय ने आरक्षण को सही मानते हुए, इसे तत्काल प्रभाव से लागू करने की ताकीद जारी की है। साथ ही आरक्षण की प्रतिशत दर को तय करने का जिम्मा आरक्षण आयोग को सौंपा है। जस्टिस एस.एस. सारों तथा जस्टिस लीजा गिल पर आधारित खंडपीठ ने शुक्रवार को इस मुद्दे पर आधारित याचिका के निपटारे में उक्त आदेश जारी किया। केस में एक पक्ष की पैरवी करने वाले सुप्रीम कोर्ट में प्रैक्टिस करने वाले वकील मंदीप सिंह सचदेव ने इस आश्य की पुष्टि करते हुए कहा कि माननीय उच्च न्यायालय के फैसले के बाद हरियाणा को जाट आंदोलन से मुक्ति मिलेगी और उम्मीद है कि सौहार्दपूणã माहौल बनेगा। आंदोलन से पंजाब से दिल्ली तक की प्रभावित होती रही है। अब आरक्षण आयोग को 31 मार्च 2०18 तक का समय दिया गया है। उम्मीद है कि इतना समय काफी होगा कि वो संबंधित पक्षों को सुनने के बाद यह तय कर पाए कि आरक्षण की दर कितनी होनी चाहिए।
वही, पंजाब एवं हरियाणा उच्च न्यायालय ने हरियाणा विधानसभा द्वारा पारित हरियाणा पिछड़ा वर्ग आरक्षण अधिनियम पर रोक अगले आदेश तक जारी रखने का फैंसला भी किया है। अधिनियम में जाटों सहित छह जातियों को सरकारी नौकरियों और शिक्षण संस्थानों में आरक्षण का प्रावधान किया गया था। हाइकोर्ट ने प्रस्तावित आयोग के लिए तीन महीने (30 नवंबर तक) के भीतर आंकड़े जमा करने की समय सीमा तय की है। न्यायालय ने आयोग को उन आंकड़ों पर 31 दिसंबर तक आपत्तियां लेने और 31 मार्च 2018 तक अपनी रिपोर्ट देने के भी आदेश दिया है।
ताज़ा कोर्ट के फैसले के बाद जाटों की तीन सितंबर को होने वाली झज्जर रैली में हिंसा भड़कने की फिर भी पूरी संभावना है क्योंकि जाटों को कोर्ट के फैंसले के बारे में सही से न बताकर फिर से सरकार के खिलाफ भड़काया जा सकता है। डेरा सच्चा विवाद से जूझ रही हरियाणा सरकार के लिए अब जाट भी बड़ी मुसीबत खड़ी कर सकते हैं। यह समय हरियाणा सरकार के लिए कठिनाई भरा होगा।
कोर्ट ने अपने फैसले में कहा है कि बैकवर्ड कैटेगरी में जाटों और दूसरी 6 जातियों को कितना आरक्षण मिलना है ये सरकार की तरफ से बनाए गए कमीशन के माध्यम से ही तय होगा। पंजाब और हरियाणा हाई कोर्ट ने जाटों को सरकारी नौकरियों में 10 फीसदी आरक्षण के खिलाफ दायर की गई याचिका पर सुनवाई के दौरान ये फैसला सुनाया। इस मामले में मार्च में सुनवाई के बाद हाई कोर्ट ने अपना फैसले सुरक्षित रख लिया था।
गौरतलब है कि हरियाणा सरकार राज्य में प्रदर्शन और आंदोलन के बाद पिछड़ा वर्ग (नौकरियों और शैक्षणिक संस्थानों में आरक्षण) एक्ट के तहत आरक्षण देने को तैयार हो गई थी। राज्य सरकार के फैसले को चुनौती देते हुए याचिका में कहा गया था कि ये फैसला संविधान की मूल भावना के खिलाफ है और ये सुप्रीम कोर्ट के 50 फीसदी तक आरक्षण के सीमा को भी पार करता है। इस याचिका के बाद हाई कोर्ट ने इस पर स्टे लगा दिया था। गौरतलब है कि पिछले साल जाटों के आरक्षण आंदोलन के दौरान हिंसा हुई थी जिसमें 30 से ज्यादा लोग मारे गए थे।





चेतावनी: कंटैंट कापी पेस्ट करना कानूनन जुर्म है।


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